भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (3)(क) अनुच्छेद 244 (1) पांचवी अनुसूची क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और उन्नति नियंत्रण कल्याण के बारे में पंचायत उपबंध ( अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (3)(क) अनुच्छेद 244 (1) पांचवी अनुसूची क्षेत्रों  और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और उन्नति नियंत्रण कल्याण के बारे में पंचायत उपबंध ( अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 40/1996 की धारा 4(ख),(घ ) के तहत आदिवासी पटेल सांसद दिनांक 28/4/2019 ग्राम रामटेक तहसील कन्नौद जिला देवास मध्य प्रदेश में सर्वसम्मति से पास किए गए
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                                                      प्रस्ताव क्रमांक 1                                   निर्णय तिथि 28 /4 2019
भारत के मूलनिवासी आदिवासी अनुसूचित जनजाति धर्मपूर्वी लोग हैं जब दुनिया से किसी भी धर्म का उदय नहीं हुआ था तब से हम अपने प्राकृतिक रूडी व प्रथा से राशि अथवा संस्कारी होते आए हैं अंग्रेजों द्वारा की गई जनगणना -1911 ,1922, 1931, 1941 में हमारे धर्म के कोल्लम में प्राकृतिक पूजन लिखा गया है हमारे देवी स्थल पूजा पद्धति हमारे संस्कार व संस्कृति किसी भी वर्ग से अलग है इसलिए हम ना तो हिंदू हैं और ना ही मुस्लिम,सिख, इसाई, जैन, बौद्ध हम किसी भी धर्म प्रथा व उनके पुजारियों पादरियों गुरुद्वारों मुनियों भिक्षुओं सत्य मार्ग रूडी या प्रथा से शासित व सांस्कृतिक होते हैं हमारे पुजारी आदिवासी पुजारा पटेल गांव डाहला वाराती बारगाया रूढ़ि प्रथा से मुखिया होते हैं हमारे संस्कारों में किसी भी धर्म के विधान व अनुष्ठानों का उपयोग नहीं किया जाता है हमारी रूडी या प्रथा ही हमारा संविधान है जिस मे भारतीय में अनुच्छेद 244 (1) व 244 (2) के मध्य से जोड़ा गया है और हमारी रूढ़ि प्रथा को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (3) (क) में विधि का बल प्राप्त है जिस प्रकार से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (5)(6) के तहत अनुसूचित जनजाति के हितों के विरुद्ध बिना अनुमति के किसी भी बाहरी व्यक्ति या गैर आदिवासी को कुछ भी करने का अधिकार नहीं है
राज्य सरकार व केंद्र सरकार आदिवासी क्षेत्र में एक व्यक्ति है इन  सरकारों को भी आदिवासी क्षेत्र में कुछ भी करने का अधिकार नहीं है फिर भी हमारे आदिवासी क्षेत्र में बिना पूछे पुलिस घुसकर आदिवासियों के ऊपर केस बनाकर भारतीय संविधान का उल्लंघन कर रही है उसे आदिवासियों के कानून का पालन करवाने का प्रस्ताव पास कर संविधान का पालन करवाने का आदेश देते हैं
(2)  गारमेंट ऑफ इंडिया एक्ट की धारा 91 के तहत आदिवासी इलाकों को पूर्ण वर्जित एवं आंशिक वर्जित              
इलाके के रूप में परिभाषित किया गया है और आदिवासियों की सुरक्षा प्रदान कराते हुए उनकी परंपरा को बचाने के लिए प्रयत्न करना है गारमेंट ऑफ इंडिया एक्ट की धारा 92 उप धारा (1) संघीय व  प्रदेशिय  विधायिका द्वारा पारित कोई भी कानून संपूर्ण और आंशिक वर्जित इलाके के ऊपर लागू नहीं होता है उप धारा (2) संपूर्ण वर्जित व आंशिक वर्जित इलाकों की शांति व सुशासन के लिए गवर्नर रेगुलेशन बना सकते हैं वह रेगुलेशन संघीय विधायिका व प्रदेश की प्रदेशिक विधायिका द्वारा बनाए गए किसी भी कानून को लागू ना हो या संशोधन करके लागू करने का अधिकार है लेकिन इस धारा के तहत गवर्नर के द्वारा जो रेगुलेशन लाया जाएगा वह तुरंत गवर्नर जनरल को भेजा जाएगा एवं उसके द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद ही वहां रेगुलेशन लागू होना चाहिए
प्रस्तावित सर्वसम्मति से पास कर कानून का पालन सभीO.I.G.S (प्रशासन) अनिवार्य रूप से पालन हेतु आदेशित किए जाए
प्रस्ताव क्रमांक 1
सगाई- लड़का लड़की के आपस में रिश्ता नाता आने पर लड़की को ₹500 दिया जाएगा
देजा- आदिवासी बारेला समाज अपनी रूढ़ि प्रथा अनुसार देजा के रूप में लड़के पक्ष वाले लड़की पक्ष को रुपए 10500 दिया जाएगा
छांलिया-यानी की पहली शादी हुई थी लेकिन किसी कारणवश पत्नी नहीं रही हो या बीमारी से मर गई हो ऐसी स्थिति में दूसरी शादी यानी किसी कुंवारी लड़की से होती है तो छांलिया के रूप में समाज राशि ₹500 लेगा
गाला- लड़का लड़की की शादी जब बड़े भाई या बड़ी बहन को छोड़कर शादी की जाती है तो लड़के पक्ष से गाला के दानों के अंदर के लिए समाज ₹500 लेगा
लाग आदिवासी समाज के रूडी प्रथा अनुसार गांव में किसी भी लड़की की सगाई होती है सब देजा की रकम में से राशी रुपये 500 उस गांव के पटेल को लाग के रूप में दिए जायेगे
सौतन- समाज के किसी व्यक्ति के द्वारा राजी खुशी या या जोर जबरदस्ती से डबल शादी वादो पत्नी करने पर भेजा की रकम ₹100000 देना तय हुआ है
अगर समस्या को देखते हुए दो शादी करने पर रु 15000 लड़की पक्ष वालों को दिया जाएगा
पंचायती आदिवासी समाज के रूढ़ि प्रथा अनुसार लड़का लड़की की सगाई पक्की होती है तब लड़की पक्ष की ओर से ₹490 एवं लड़के पक्ष की ओर से ₹500 दोनों को मिलाकर  सेव परमल गुड खाते हैं और बोली तय होती है और बार-बार पंचायती खाना गलत है
सगाई- सगाई करी हुई लड़की को दूसरी जगह जाने पर लेजाने वाले लड़के पक्ष को ₹10000 दंड देना होगा अगर सगाई करी हुई लड़की के रहते हुए लड़के पक्ष वाले दूसरी शादी करता है तो सगाई में डेजा की राशि रुपए वापस नहीं की जाएगी
हुगलाय- समाज में लड़का लड़की की राशि मर्जी से शादी करने पर लड़के पक्ष को लड़की पक्ष को ₹10500 देना होगा
झगड़ा- शादीशुदा महिला को बिना कारण छोड़ देता है वह महिला दूसरी शादी कर लेने पर महिला को छोड़ने वाले पक्षों को देजा की मूल रुपए वापस देगा
काहवालिया- लड़का लड़की राजी मर्जी पूछ कर दो पंच लड़की पक्ष को सगाई की खबर देने जाएगा तब उनको किसी भी प्रकार का कष्ट जैसे गाली गलौज करना बाध्य कर बांध कर रखना नहीं होगा
हरगांव से 11 सदस्य की कॉमेडी रहेगी जिसमें पटेल पुजारा गांव डाहला वारती और गांव के सरपंच पंच सामाजिक विचारधारा वाले व्यक्ति रहेंगे
समाज से बाहर- अगर कोई व्यक्ति गांव कमेटी के नियम से बाहर देजा रुपये 10500 से ज्यादा लेता है तो उस व्यक्ति को समाज से बाहर किया जाएगा उसको किसी भी प्रकार जैसे शादी नुकता सामाजिक त्योहार में शामिल नहीं करेंगे और ना उसके घर जाएंगे जो उसको कार्यक्रम में शामिल करेगा उसको ₹1000 दंड किया जाएगा

इस प्रकार अति महत्वपूर्ण संविधान आदिवासियों के अधिकारों को अतिशीघ्र अमल करवाने का आदेश शासन प्रशासन को दिया जावे
प्रति,
1. महामहिम राष्ट्रपति महोदय भारत सरकार नई दिल्ली।
2. मा. प्रधानमंत्री महोदय भारत सरकार नई दिल्ली।
3.मा. मुख्य न्यायाधीश महोदय सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली।
4.महामहिम राज्यपाल महोदय म.प्र. शासन भोपाल।
5.मा. मुख्यमंत्री महोदय मध्य प्रदेश शासन भोपाल।
6.मा. उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर एवं जबलपुर।
7. सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग म.प्र.शासन भोपाल।
8.मा.मंत्री महोदय आदिम जाति कल्याण विभाग मध्यप्रदेश शासन भोपाल।
9. श्रीमान कमिश्नर महोदय इंदौर संभाग इंदौर
10. श्रीमान कलेक्टर महोदय जिला देवास।
11. श्रीमान एसपी महोदय जिला देवास।
12. श्रीमान अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कन्नौद।
13. श्रीमान एसडीओपी महोदय कन्नौद।
14. श्रीमान थाना प्रभारी महोदय कन्नौद ग्रामीण ।

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